Khopkar has taught and lectured at various prestigious institutions, including the Film and Television Institute and National Film Archive in Pune, Jawaharlal Nehru University, Central University of Hyderabad, Moscow Film Institute of Advanced Studies in Film Direction, British Film Institute, Westminster University, Oxford University, and Venice Biennale. He has participated in seminars and conferences and has studied four Asian and five European languages.

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लेखक:

अरुण खोपकर

अरुण खोपकर सिने निर्देशक, सिने विद् और सिने अध्यापक। राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों में सहभाग। फ़िल्म निर्देशन और निर्मिति के लिए तीन बार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों से और पन्द्रह राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित होमी भाभा फ़ेलोशिप से सम्मानित । सत्यजित राय जीवन गौरव स्मृति सम्मान 2015, गुरुदत्त तीन अंकी शोकान्तिका – सिनेमा पर सर्वोत्कृष्ट पुस्तक का राष्ट्रीय पुरस्कार 1986, अनुनाद – कथेतर विधा में महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार 2021. विविध कलाओं पर आधारित सिनेमा तथा लेखन और अँग्रेज़ी, इतालवी, फ्रेंच, हिन्दी व कन्नड़ में अनूदित चलत् चित्रव्यूह पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2015, चित्रव्यूह और चलत् चित्रव्यूह को महाराष्ट्र फ़ाउण्डेशन पुरस्कार 2014. चित्रभास्कर व रंगभास्कर : भास्कर चन्दावरकर पर लिखित पुस्तकों की संकल्पना व सम्पादन, फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट व नेशनल फ़िल्म आर्काइव पुणे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, सेण्ट्रल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद, मॉस्को फ़िल्म इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज इन फ़िल्म डिरेक्शन, ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टीट्यूट वेस्टमिन्स्टर विश्वविद्यालय व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, वेनिस बिएनाले आदि संस्थानों में अध्यापन, व्याख्यान तथा संगोष्ठियों में हिस्सेदारी; चार एशियाई व पाँच यूरोपीय भाषाओं का अध्ययन।

गुरुदत्त : तीन अंकी त्रासदी

अरुण खोपकर

मूल्य: $ 15.95

गुरुदत्त : तीन अंकी त्रासदी – सिनेमा को सजग होकर पढ़ने की एक नई दृष्टि।

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चलत् चित्रव्यूह

अरुण खोपकर

मूल्य: $ 10.95

क्योंकि... हर कहानी के पीछे एक कारण होता है। मान्यवर : आदरणीय व्यक्तियों की गाथाएँ। अनुपस्थिति के रंग : भावनाओं की अनकही कहानियाँ। संत भूपेन : एक साधक की जीवन यात्रा। लकदक चमक : साहित्य की सजीव झलक। दादू इंदुरीकर : लोक संस्कृति का नायक। नारायण गंगाराम सुर्वे : जन कवि की आवाज। खंड क्रमांक शून्य : आरंभ की अनकही दास्तान। रुपहला पर्दा : शिक्षा और सिनेमा की एक नई दृष्टि।

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   2 पुस्तकें हैं|